वसुंधरा राजे सिंधिया की कुंडली का 2023 के चुनावों के संदर्भ में विश्लेषण
Horoscope Analysis of Vasundhara Raje Sindhia in respect of 2023 Elections
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तियों की जन्मकुंडली के ज्योतिषी अध्ययन के क्रम में श्रीमती वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान की कुंडली विश्लेषण निम्नानुसार है। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रीमती वसुंधरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को साँय 4:45 पर मुंबई में हुआ।
व्यक्तित्व और पारिवारिक जीवन
ज्योतिष गणना के अनुसार श्रीमती वसुंधरा राजे का जन्म कर्क लग्न, वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ । कर्क लग्न में जन्म लेने के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे में कोमलता, भावुकता, ममता, करुणा, दया नेकनियत आदि गुण समाविष्ट है। किंतु वृश्चिक राशि होने के कारण व्यक्तित्व में कठोरता, स्पष्टता, ऊर्जा और स्फुर्ति आदि भी भरपूर है।
ज्येष्ठा नक्षत्र व्यक्तित्व को बुद्धि, चातुर्य, प्रबल इच्छा शक्ति, परिपक्वता आदि गुण प्रदान करता है। जन्म लग्न में केतु की उपस्थिति तीक्ष्ण बुद्धि और सांसारिक जीवन से मोह त्याग के पश्चात कर्म करने की प्रवृत्ति देता है।
दशम भाव में उपस्थित योग कारक बृहस्पति के कारण वसुन्धरा राजे का जन्म ग्वालियर के शाही परिवार में (माता विजय राजे सिंधिया एवं पिता जीवाजीराव सिंधिया) हुआ और इसी बृहस्पति के कारण इनके मान सम्मान, प्रतिष्ठा, यश,राजयोग इत्यादि में निरंतर बढ़ोतरी होती रही।
सप्तम भाव में उपस्थित राहु एवं अष्टम भाव में उपस्थित सूर्य व बुध के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे का विवाह धौलपुर के शाही परिवार में हेमंत सिंह के साथ हुआ। पंचम भाव में उपस्थित चंद्रमा के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे को अपने पुत्र श्री दुष्यंत से लगाव और जुड़ाव बना रहा (और पुत्र की सफलता का कारक भी बना)। नवम भाव में उपस्थित मंगल और शुक्र के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे का सनातन धर्म और धार्मिक गुरुजनों का प्रति विशेष प्रभाव रहा।
पराशर होरा शास्त्र के अनुसार कुंडली मे उपस्थित विशेष योग
- तुर्येशे पञ्च्मे भाग्ये सुखी सर्वजनप्रियः ।
विष्णुभक्तिरतो मानी स्वभुजार्जित-वित्तवान् ॥
अर्थात्
सुखेश पांचवे वा नवम भाव में हो तो जातक सुखी, सर्वजनप्रिय, विष्णुभक्त, मानी और अपने पराक्रम से द्रव्य पैदा करने वाला होता है। - षष्ठेशे कर्मवित्तस्थे साहसी कुलविश्रुतः ।
परदेशे सुखी वक्ता स्वकर्मे चैकनिष्ठिकः ॥
अर्थात्
षष्ठेश दशम वा दूसरे भाव में हो तो जातक साहसी, कुल में विख्यात, परदेशी, वक्ता और अपने कर्म में निष्णात होता है। - भाग्येशे दशमेतुर्ये मन्त्री सेनापतिर्भवेत् ।
पुण्यवान्सुयशा वाग्मी साहसी क्रोधवर्जितः ॥
अर्थात्
भाग्येश दशम या चतुर्थ भाव में हो तो जातक मन्त्री वा सेनापति, पुण्यवान्, यशस्वी, बुद्धिमान्, साहसी और क्रोध रहित होता है। - लाभेशे गगने धर्मे राजपूज्यों धनाधिपः ।
चतुरः सत्यवादी च निजधर्म-समन्वितः ॥
अर्थात्
लाभेश दशम या नवम भाव में हो तो जातक राजा से पूज्य, धनी, चतुर, सत्यवक्ता और स्वधर्म में रत होता है।
राजनीतिक जीवन
श्रीमती वसुंधरा राजे की जन्मकुंडली में चतुर्थेश शुक्र व दशमेश मंगल की नवम भाव में युति विशेष राजयोग का निर्माण करती है। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही चतुर्थेश शुक्र की महादशा में 1984 में हुई तथा उनको पहली सफलता 1985 राजस्थान विधानसभा चुनाव में मिली जब वो झालरापाटन से विधायक चुनी गई।
शुक्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा में 1989 में श्रीमती राजे झालावाड़ से प्रथम वार लोकसभा सदस्य चुनी गई। सूर्य की महादशा में श्रीमती राजे लोकसभा सदस्य के रूप में निरंतर चुनी गई। 1998 से जीवन में लग्नेश चंद्रमा की महादशा की विशेष योग कारक रही जब 1998 में श्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में श्रीमती राजे विदेश राज्य मंत्री के पद पर सुशोभित हुई।
- राजस्थान राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री: चंद्रमा की महादशा और बुध की अंतर्दशा में श्रीमती वसुंधरा राजे दिसंबर 2003 प्रथम बार राजस्थान राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के रूप में चयनित हुई। 2003 में राहु और केतु की तत्कालीन अनुकूल स्थिति ने इन्हें राज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन करने में सहायता की।
- 2008 में चुनावी पराजय: मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा और गोचर में शनि की प्रतिकूल स्थिति के कारण वर्ष 2008 में इनके नेतृत्व में भाजपा को चुनावी पराजय मिली तथा तत्कालीन राहु और केतु की विपरीत स्थिति ने इनको मानसिक पीड़ा भी प्रदान की।
- 2013 में चुनावी विजय: वर्ष 2013 में दशमेश मंगल की महादशा और चतुर्थेश शुक्र की अंतर्दशा राहु केतु और शनि की अनुकूल स्थिति के कारण पुनः चुनावी सफलता प्राप्त हुई तथा श्रीमती राजे दूसरी बार राजस्थान राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई।
- 2018 की चुनावी पराजय: वर्ष 2018 राहु की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा और गोचर में राहु और केतु की प्रतिकूल स्थिति कारण के श्रीमती राजे के नेतृत्व में भाजपा की चुनावी हार हुई।
वर्ष 2023 का परिदृश्य
वर्तमान में श्रीमती वसुंधरा राजे की जन्म कुंडली मे राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है जो कि जून 2025 तक रहेगी जोकि विशेष राजयोग कारक है।
मई से अक्टूबर 2023 के मध्य षष्टम भाव में राहु, बृहस्पति और बुध की प्रतिकूल युति राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी इकाई में इनके विरोधियों को प्रबलता प्रदान कर रही है, किंतु दशम भाव में ग्रहों की अनुकूल स्थिति के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे को केन्द्र सरकार में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सम्मानजनक स्थिति या पद का प्रस्ताव मिल सकता है। अथवा राज्य में ही कोई शीर्ष सामानांतर पद (चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा या चुनाव के बाद विधायक दल के नेता बनाने की बजाय) का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
लेकिन शुक्र और मंगल की प्रतिकूल स्थिति के कारण श्रीमती राजे को इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में कठिनाई होगी। नवंबर 2023 के पश्चात ग्रहों के अनुकूल स्थिति के कारण श्रीमती वसुंधरा राजे के ना केवल विरोधी दुर्बल होंगे बल्कि राजयोग की प्राप्ति भी होगी।
अस्वीकरण (Disclaimer) – उपरोक्त आर्टिकल ज्योतिष अध्ययन और अनुसंधान के उद्देश्य से लिखा गया है इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। अगर आप ज्योतिष के विद्यार्थी हैं तो इस कुंडली के अध्ययन से संबन्धित अपने विचार मुझे ईमेल द्वारा प्रेषित कर सकते हैं। उल्लेखनीय विचारों को अध्ययनकर्ता के नाम के साथ इसी लेख में सम्मिलित कर लिया जाएगा।
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