मांगलिक दोष : प्रभाव और निवारण
Manglik Dosha : Effects and Remedies
वैदिक ज्योतिष में मंगल (Mars in Kundli) महत्वपूर्ण ग्रह है जोकि अग्नि कारक और मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। नवग्रहों में मंगल को सेनापति माना गया है और हनुमानजी कोइसके अधिष्ठाता देवता होते है। कुंडली मे मंगल (Mangal in Kundli) जातक के साहस, ऊर्जा, गतिशीलता, जीवन शक्ति और अनुशासन का कारक होता है तथा व्यक्ति के शरीर में खून, हड्डी, शारीरिक चोट या दुर्घटना द्योतक होता है। इसके अतिरिक्त मंगल भूमि, वाहन, आग्नेय अस्त्र का भी प्रतिनिधित्व करता है। जातक की कुंडली में मंगल प्रबल होने पर व्यक्ति का साहसी ऊर्जावान और अनुशासित होता है और दुर्बल होने पर आलसी, ऊर्जाहीन और क्रोधी होता है।
मंगल मकर राशि में उच्च तथा कर्क राशि में नीच का होता है तथा मृगशिरा, चित्रा और घनिष्ठा नक्षत्रों का स्वामी होता है ।
सुखद और लंबे वैवाहिक जीवन में आपसी प्रेम और सामंजस्य सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है। इसके विपरीत वाद विवाद, तर्क वितर्क, पारिवारिक क्लेश, तनाव, दुर्बल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, जीवनसाथी के असामयिक मृत्यु, वैवाहिक जीवन में बाधा और कटुता उत्पन्न करते हैं। व्यक्ति की कुंडली में बिना निवारण मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां (Married Life Problems) को बढ़ने में विशेष भूमिका अदा करता है क्योंकि मंगल ऊर्जा, अग्नि, रक्त व दुर्घटना को प्रतिबिंबित करता है।
किसी जातक की कुंडली में मांगलिक दोष (Manglik Dosh in Kundli) तब उत्पन्न होता है जब उसके प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम व बारहवें भाव में मंगल उपस्थित हो इसको भोम दोष या कुंज दोष भी कहते हैं। यदि इन भावों में मंगल अन्य क्रूर ग्रह जैसे राहु, केतु अथवा शनि के साथ उपस्थित हो तो मांगलिक दोष में वृद्धि (Strong Manglik Dosh) देखने को मिलती है। इसके विपरीत यदि मंगल उपरोक्त भावों में चंद्रमा, शुक्र, बृहस्पति अथवा बुध के साथ उपस्थित हो तो मांगलिक दोष दुर्बल (Anshik Manglik Dosh) हो जाता है।
व्यक्ति के जीवन में मांगलिक दोष (Mangal Dosha in Horoscope) का दुष्परिणाम केवल वैवाहिक जीवन में ही पड़ता है इससे पूर्व जातक को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाता है ।
यदि मांगलिक दोष का निवारण (Manglik Dosh Remedy) विवाह पूर्व ना किया जाए तो इसके कारण कुंडली मे मंगल की उपरोक्त भावों में उपस्थिति के कारण भावानुसार वैवाहिक जीवन में निम्नलिखित कठिनाइयां (Mangal Dosha effect in Married Life) उत्पन्न करता है।
- प्रथम भाव (Mars in First House): यदि जातक की कुंडली में मंगल प्रथम भाव में उपस्थित हो तो व्यक्ति के आत्म केंद्रित, क्रोधित व अनुसात्मक मनोवृति के कारण जीवनसाथी के साथ सामंजस्य में कठिनाई उत्पन्न करता है।
- द्वितीय भाव (Mars in Second House): जातक की कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल उपस्थित हो तो कटु वाणी, निरामिष भोजन, पारिवारिक सदस्यों के साथ कठोर व्यवहार के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएं आती है।
- चतुर्थ भाव (Mars in Fourth House): यदि जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में मंगल उपस्थित हो तो व्यक्ति के घर परिवार में कठोर वातावरण, मातृसत्तात्मक परिवार के कारण वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।
- सप्तम भाव (Mars in Seventh House): यदि जातक की कुंडली के सातवें भाव में मंगल उपस्थित हो तो व्यक्ति जीवन साथी को निम्नस्तर, बंधुआ मजदूर अथवा कैदी के समान व्यवहार करता है जिसके कारण वैवाहिक प्रेम में कमी आती है।
- अष्टम भाव (Mars in Eighth House): यदि जातक की कुंडली के आठवें भाव में मंगल उपस्थित हो तो व्यक्ति विवाहेत्तर संबंध, चरित्र लांछन और शारीरिक सुख में न्यूनता के कारण वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है।
- द्वादश भाव (Mars in Twelfth House): यदि जातक की कुंडली में बारहवें भाव में मंगल उपस्थित हो तो जीवन साथी से भौतिक दूरी व शत्रुता पूर्ण व्यवहार विवाहित जीवन में समस्या उत्पन्न करता है।
मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय (Manglik Dosha Remedies)
मांगलिक दोष के कारण उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से बचने के लिए विवाह पूर्व विद्वान ज्योतिषी से कुंडली मिलान करना सबसे सर्वोत्तम उपाय और यदि किसी कारणवश मांगलिक दोष के पश्चात भी वैवाहिक संबंध हो जाए तो निम्नलिखित उपायों के माध्यम से मांगलिक दोष के दुष्परिणामों को संतुलित किया जा सकता है
- कुंडली मिलान (Horoscope Matching): यदि विवाह पूर्व दो जातकों की की कुंडली मिलान उचित ढंग से किया जाए तो मांगलिक दोष के दुष्परिणामों से काफी हद तक बचा जा सकता है अतः इस हेतु किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह कर उपाय करना हितकर रहता है ।
- कुंभ विवाह या विष्णु विवाह या घट विवाह (Ghat Vivah): यदि कुंडली में मांगलिक दोष है तो जातक का विवाह पूर्व किसी वृक्ष अथवा मूर्ति से विवाह कर मांगलिक दोष के दुष्परिणामों को न्यूनतम किया जा सकता है।
- हनुमान उपासना (Hanuman Upasna): मांगलिक दोष को कम करने हेतु हनुमान उपासना या मंगलवार का व्रत लंबे समय करने पर इसके दुष्परिणामों में कमी आती है।
- मंगलवार के दान (Tuesday Daan): मांगलिक दोष निवारण हेतु मंगल ग्रह से जुड़ी हुई वस्तुएं दान मंगलवार को करने से लाभ होता है।
जीवन मे विभिन्न क्षेत्रों मे आने वाली समस्याओं (विवाह, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, धन, कुंडली मे दोष, राहु / केतु / शनि / मंगल महादशा, संतान, कानूनी पचड़े आदि) के ज्योतिषीय समाधान अथवा सलाह के लिए मेरे WhatsApp Number +91-9214983806 पर संपर्क कर सकते हैं। – ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. आलोक व्यास