कुंडली में प्रेम संबंधो मे अलगाव के योग
Love Relationships Breakup Yog in Horoscope
कुंडली विश्लेषण भारतीय ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर उनके भविष्य को पढ़ने में मदद करता है। कुंडली में प्रेम संबंधों में अलगाव के योग की जाँच करने के लिए विभिन्न ग्रहों, भावों और योगों को देखा जाता है। इस लेख में, हम कुंडली में प्रेम संबंधों में अलगाव के कुछ योगों पर चर्चा करेंगे।
- शुक्र और शनि की युति के कारण प्रेम संबंधो मे अलगाव: ज्योतिष शास्त्र में, शुक्र और शनि दोनों ही महत्वपूर्ण ग्रह हैं और प्रेम संबंधों में इनकी युति के फलस्वरूप अलगाव देखा जा सकता है। शुक्र व्यक्ति के प्रेम, सौंदर्य, कला, समृद्धि और सुख-शांति के प्रतीक होता है, जबकि शनि धैर्य, संघर्ष, सावधानी और कठोरता के प्रतीक होता है। शुक्र विवाहित जीवन, भावुकता और संबंधों में प्रेम के लिए उत्पादक ग्रह माना जाता है, जबकि शनि विवाह और संबंधों में संभावित अड़चनों के लिए जाना जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र और शनि की युति (Venus and Saturn Conjuction) है, तो प्रेम संबंधों में अलगाव का संभावना हो सकता है। यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के विरुद्ध स्थित होने से प्रेम संबंधों में समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। शुक्र का प्रतिभा, सौंदर्य और रोमांटिक प्रकृति के कारण यदि यह ग्रह कुंडली में विशेष रूप से प्रभावशाली है, तो व्यक्ति प्रेम में आसानी से आकर्षित हो सकता है।
- वहीं, शनि की युति के कारण व्यक्ति प्रेम संबंधों में संघर्ष और उतार-चढ़ाव अनुभव कर सकता है। शनि की दशा में, यह ग्रह व्यक्ति को विवाहित जीवन में संबंधों की मुश्किलें और विवादों का सामना करने के लिए तैयार कर सकता है।
- कुंडली में मांगलिक दोष होने से प्रेम संबंधों में अलगाव: कुंडली में मांगलिक दोष होने से प्रेम संबंधों में अलगाव का संभावना होता है। मांगलिक दोष एक ग्रहिक स्थिति है जिसमें मंगल ग्रह पाप भाव में स्थित होता है। मंगल या मांगलिक गुण विवाह में अतिरिक्त महत्वपूर्ण माना जाता है, और विवाह में इसे ध्यान में रखा जाता है। यह दोष प्रेम संबंधों को प्रभावित कर सकता है और कई बार अलगाव के कारण बनता है।
- जब किसी के कुंडली में मांगलिक दोष (Manglik Dosh in Horoscope) होता है, तो दोषी व्यक्ति के लिए शुभ विवाह में अतिरिक्त परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। कुंडली में दूसरे ग्रहों के साथ युति और संबंध होने से विवाह में अडचनें उत्पन्न हो सकती हैं। दो व्यक्तियों की कुंडली में मांगलिक दोष के कारण उनके बीच में विशेष विवाद और मनमुटाव हो सकता है। इसके कारण उन्हें एक-दूसरे से अलग होने की चुनौती हो सकती है।
- व्यक्ति के कुंडली में मांगलिक दोष होने से प्रेम संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। दोनों पक्षों के बीच में संघर्ष और दृढ़ता के कारण प्रेम संबंधों में अस्थिरता आ सकती है। कई बार दोषी व्यक्ति को अच्छे समय पर विवाह के लिए सही साथी नहीं मिलता है और विवाह में देरी हो सकती है। इससे उन्हें प्रेम संबंधों में अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।
- कुंडली में राहु की मुश्किल स्थिति से प्रेम संबंधों में अलगाव: कुंडली में राहु की स्थिति प्रेम संबंधों में अलगाव के कारण बन सकती है। राहु भारतीय ज्योतिष में एक क्रूर ग्रह माना जाता है और इसे पाप ग्रहों में गिना जाता है। राहु की ग्रह स्थिति व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है, जिसमें प्रेम संबंध भी शामिल होते हैं।
- राहु विचित्र और अनिश्चित ग्रह है (Uncertainity of Rahu), जिससे व्यक्ति के प्रेम संबंध अस्थिर और अनिश्चित हो सकते हैं। जातक की कुंडली में राहु की स्थिति व्यक्ति को अचानक प्यार में पड़ने के कारण प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव भी देखा जा सकता है।
- कुंडली में राहु की अशुभ स्थिति (Malefic Rahu in Horoscope) व्यक्ति को अच्छे समय पर विवाह के लिए सही साथी नहीं मिलने की भी वजह से प्रेम संबंधों में अलगाव उत्पन्न हो सकता है। इससे व्यक्ति को प्रेम संबंधों में देरी हो सकती है या विवाह से इन्कार करना पड़ सकता है।
- राहु की अस्थिर प्रकृति (Unstable Nature of Rahu) व्यक्ति को दिलचस्प, अवैध, गैरपरम्परागत अथवा नाटकीय प्रेम संबंधों में खींच सकती है। यह ग्रह व्यक्ति को व्यक्तिगत प्रेम संबंधों से दूर रहने के लिए भी बाध्य कर सकता है। कुंडली में राहु की कुछ विशेष स्थितियां व्यक्ति को प्रेम संबंधों में विवाद और संघर्ष का सामना करने के लिए मजबूर कर सकती है। इससे प्रेम संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है और व्यक्ति को संबंधों में अस्थिरता महसूस हो सकती है।
- कुंडली में शनि की स्थिति के कारण प्रेम संबंधों में अलगाव: कुंडली में शनि की कुछ विशेष स्थितियों के कारण प्रेम संबंधों में अलगाव हो सकता है। शनि एक क्रूर ग्रह है और इसे मांगलिक ग्रह में गिना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के प्रेम संबंधों को प्रभावित करता है और कुछ विशेष स्थितियों में प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बन सकता है। कुछ ऐसी स्थितियां हैं जिनमें शनि की स्थिति से प्रेम संबंधों में अलगाव का संभावना होता है।
- यदि शनि कुंडली में प्रेम संबंधों के लग्न या स्वामी ग्रहों को दृष्टि देता है, तो विवाह के मामले में समस्या उत्पन्न हो सकती है। शनि की दृष्टि से प्रेम संबंधों में विवाद (Saturn’s Aspect and Love Relation Problems) और अस्थिरता की स्थिति बन सकती है।
- जब शनि कुंडली में विशेष समयों पर गोचर करता है, तो व्यक्ति के प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इस समय में व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ संघर्ष और विवाद का सामना कर सकता है।
- शनि विशेष समयों पर अन्य ग्रहों के साथ संयोग बनाता है, तो प्रेम संबंधों में विवाद और उतार-चढ़ाव उत्पन्न हो सकता है। इस समय में व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ संघर्ष का सामना कर सकता है।
- कुंडली में शनि किसी अन्य ग्रह के साथ युति बनाता है, तो व्यक्ति को प्रेम संबंधों में अस्थिरता और विवाद का सामना करना पड़ सकता है।
- कुंडली में बुध की स्थिति के कारण प्रेम संबंधों में अलगाव: कुंडली में बुध की कुछ स्थितियां हो सकती हैं जो प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बनती हैं। यहां मैं कुछ स्थितियां बता रहा हूँ जो इस प्रकार हो सकती हैं।
- यदि कुंडली में बुध शत्रु दृष्टि (Budha Shatru Drishti) होती है, तो यह प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बन सकती है। यह दृष्टि शीघ्र चलने वाली होती है और यह विवाहित जीवन में भी असर डालती है।बुध की राहु या केतु के साथ संयोजन (conjunction) होने से प्रेम संबंधों में समस्या हो सकती है। यह योग अनिश्चितता और भ्रम उत्पन्न कर सकता है, जिससे संबंधों में अलगाव हो सकता है।
- यदि कुंडली में बुध और शनि का संयोजन (Mercury and Saturn Conjuction in Horoscope) होता है, तो यह प्रेम संबंधों में विभिन्न परेशानियों का कारण बन सकता है। यह योग देरी से परिपूर्ण विवाह या बिगड़े हुए प्रेम संबंधों का संकेत कर सकता है।
- कुंडली में बुध और गुरु के संयोजन (Mercury and Jupiter Conjuction in Horoscope) से प्रेम संबंधों में विभिन्न प्रकार की उलझनें उत्पन्न हो सकती हैं। यह योग संबंधों में समझौते और समानता के अभाव का कारण बन सकता है।
- यदि कुंडली में बुध और शुक्र का संयोजन (Mercury and Venus Conjuction in Horoscope) होता है, तो व्यक्ति अपने प्रेम संबंधों में समझौते कर सकता है और पार्टनर की भावनाओं को समझने में कठिनाई महसूस कर सकता है। यह योग संबंधों में दृढ़ता और सम्मान की अभाव का कारण बन सकता है।
- कुंडली में सूर्य की स्थिति के कारण प्रेम संबंधों में अलगाव: कुंडली में सूर्य की कुछ स्थितियां हो सकती हैं जो प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बनती हैं। यहां मैं कुछ स्थितियां बता रहा हूँ जो इस प्रकार हो सकती हैं।
- कुंडली में सूर्य का राहु या केतु के साथ संयोजन (Sun Conjunction with Rahu or Ketu) होने से प्रेम संबंधों में अलगाव का संकेत हो सकता है। यह योग अनिश्चितता और उलझनें पैदा कर सकता है और प्रेम संबंधों को बाधित कर सकता है। यदि कुंडली में सूर्य शत्रु दृष्टि (Surya Shatru Drishti) होती है, तो यह प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बन सकती है। यह दृष्टि विवाहित जीवन में भी असर डालती है और संबंधों में तनाव और विवाद पैदा कर सकती है।
- कुंडली में सूर्य और शनि के संयोजन (Sun and Saturn Conjuction in Horoscope) से प्रेम संबंधों में समस्या हो सकती है। यह योग लंबे समय तक अस्थिरता और विभिन्न परेशानियों का संकेत कर सकता है, जिससे प्रेम संबंधों में अलगाव हो सकता है। सूर्य की केतु दृष्टि (Surya Ketu Drishti) भी प्रेम संबंधों में अलगाव का कारण बन सकती है। यह योग विवाह और संबंधों में नए चुनौतियों का संकेत करता है और भावनात्मक संतुलन में कठिनाई पैदा कर सकता है।
- कुंडली में सूर्य और गुरु के संयोजन (Sun and Jupiter Conjuction) से व्यक्ति के प्रेम संबंधों में समझौते ना करने की भावना हो सकती है और पार्टनर की भावनाओं को समझने में कठिनाई हो सकती है। यह योग संबंधों में दृढ़ता और सम्मान की अभाव का कारण बन सकता है।