प्रेम विवाह में कुंडली मिलान की उपयोगिता
Importance of Horoscope Matching in Love Marriage
विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्कार है जिससे न केवल दो व्यक्तियों बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है। और इसी से समाज के अगली पीढ़ी की नींव पड़ती है ।
भारतीय संस्कृति में विवाह शरू से ही सामाजिक व धार्मिक मान्यताओं से बंधा हुआ है तथा अधिकतर विवाह अपनी जाति अथवा धर्म के अंतर्गत ही पारिवारिक सहमति से ही संपन्न होते हैं।
प्रेम विवाह शुरू से ही उपरोक्त प्रचलित मान्यताओं और परम्पराओं के विपरीत दो व्यक्तियों का आपस मे प्रेम और आकर्षण के आधार पर होता है। कभी-कभी प्रेम विवाह को सामाजिक अथवा धार्मिक मान्यता नहीं मिलती जिससे विवाह करने वाले युवा युगल को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता।
सामान्य तौर पर पारिवारिक और सामाजिक संपर्को से होने वाले विवाह, निश्चित सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं और परंपरों के दायरें में होते हैं और इस प्रक्रिया में कुंडली मिलान प्रारम्भिक चरणों में ही करवा लिया जाता है। कुंडली मिलान का परिणाम संतोषजनक ना आने पर, इस प्रक्रिया को यहीं छोड़ कर, जातक / जातिका के लिए अन्य पार्टनर ढूंढे जाते हैं।
जबकि प्रेम विवाह की स्थिति में विवाह का होना या न होना कुंडली के मिलान पर निर्भर नहीं रहता। फिर भी प्रेम विवाह के मामले में भी कुंडली मिलान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कुंडली मिलान का परिणाम संतोषजनक ना आने पर, दोनों जातको की कुंडलियों का ज्योतिषीय अभ्यास करके, आपसी सामंजस्य, जीवन निर्वाह और दाम्पत्य सुख में आ सकने वाली चुनौतियों का आकलन कर के समय रहते समुचित उपाय किए जा कर, आने वाली मुश्किलों का सामना करने की बेहतर तैयारी की जा सकती है।
प्रेम विवाह के योग
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की निम्न स्थिति होने पर प्रेम विवाह के योग प्रबल होते हैं।
- जातक की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह अपने स्वराशि, उच्च राशि अथवा मित्र राशि या केंद्र में उपस्थित हो।
- अथवा चंद्र राशि से जातक की कुंडली में पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव से हो।
- कुंडली में शुक्र चंद्रमा की युति पंचम भाव में हो।
- कुंडली में पंचमेश सप्तम भाव में स्थित हो अथवा दोनों की युति लग्न अथवा सप्तम भाव में हो।
- लग्नेश कुंडली में पंचम भाव में उपस्थित हों अथवा लग्नेश का संबंध पंचमेश अथवा सप्तमेश के साथ हो।
प्रेम विवाह में बाधा के योग
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की निम्न स्थिति होने पर प्रेम विवाह में बाधा के योग प्रबल होते हैं।
- जन्म अथवा चंद्र कुंडली से सप्तमेश का संबंध से षेटेश से होने पर।
- अशुभ ग्रहों जैसे राहु, शनि, केतु, मंगल की युति पंचमेश व सप्तमेश के साथ होने पर
- जातक की कुंडली में सप्तमेश षष्टम भाव में उपस्थित हो तथा पंचमेश अष्टम भाव में हो।
- गुण मिलान 18 से कम होने पर व युगल में से किसी एक के मांगलिक होने पर विवाह में अचानक बाद आती है।
- कन्या की कुंडली में पंचमेश प्रबल किंतु सप्तमेश दुर्बल होकर अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो। केंद्र स्थान पर अशुभ ग्रह उपस्थित हो
- कन्या की कुंडली में बृहस्पति दुर्बल अथवा नीच राशि में उपस्थित हों अथवा अशुभ ग्रहों की युति के साथ हो।
- लड़के की कुंडली में शुक्र अशुभ ग्रहों की युति के साथ हो अथवा नीच राशि में स्थित हो।
प्रेम विवाह में विपरीत परिस्थितियां आने पर युगल की कुंडली में जन्म कालीन ग्रहों की स्थिति, दशा-महादशा, अष्टकोण मिलान के माध्यम से उचित उपाय किया जा सकता है।
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