कुंडली में धन योग: ज्योतिषीय विवेचना
Wealth Yog in Horoscope : Astrological Analysis
वैदिक परंपरा के अनुसार मनुष्य जीवन में चार धाम बताए गए हैं जो निम्नानुसार है धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष । आज के भौतिकवादी युग में अर्थ का महत्व सबसे अधिक हो गया है।
किसी जातक की कुंडली में धन योग जन्म कालीन ग्रहों के स्थिति, भावापति, शुभग्रहों की युति और दशा महादशा पर निर्भर करती है।
कुंडली मे धन योग निम्नानुसार हो सकते है।
- बलवान लग्नेश 11वे भाव मे स्थित अथवा लग्नेश और एकादशेश की युति लग्न या 11 भाव में हो।
- ग्यारहवें भाव का भावापति पंचम या 11 भाव में स्थित हो।
- कुंडली में द्वितीयेश तथा लाभेश स्वराशि,शुभ राशि, मित्र राशि अथवा उच्च राशि में स्थित हो।
- कुंडली के केंद्र भाव बलवान हो और केंद्राधिपति मित्र, स्वराशि अथवा उच्च राशि में स्थित हो।
- जन्म कुंडली में अर्थ भाव तथा द्वितीय, षष्टम, दशम भाव,और एकादश भाव बलि हो।
- कुंडली में शुभ ग्रहों की युति द्वितीय, एकादश अथवा केंद्र भाव में हो।
- कुंडली में महत्वपूर्ण ग्रह जैसे बृहस्पति, शनि, राहु केतु का एकादश भाव से संबंध हो।
- जीवन के मध्य आयु में द्वितीयेश,एकादश अथवा उन में स्थित ग्रहों की दशा अथवा महादशा का अंतर आए।
- जन्म कुंडली में चंद्र मंगल की युति एकादश भाव,द्वितीय भाव,चतुर्थ भाव में या दशम भाव हो।
- उपरोक्त योगों के अतिरिक्त यदि व्यक्ति जन्म कुंडली में ग्रहों के अनुरूप नैसर्गिक प्रतिभा के अनुसार कार्य करता है तब भी व्यक्ति को धन की उपलब्धता में कोई कमी नहीं रहती है।
जीवन मे विभिन्न क्षेत्रों मे आने वाली समस्याओं (विवाह, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, धन, कुंडली मे दोष, राहु / केतु / शनि / मंगल महादशा, संतान, कानूनी पचड़े आदि) के ज्योतिषीय समाधान अथवा सलाह के लिए मेरे WhatsApp Number +91-9214983806 पर संपर्क कर सकते हैं। – ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. आलोक व्यास