जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र
Constellation and Work Field
ज्योतिष गणना के आधार पर व्यक्ति के जन्म नक्षत्र और कार्य क्षेत्र चयन से संबंधित ज्योतिष श्रंखला का भाग 3 निम्नानुसार है। जन्म नक्षत्र और कार्यक्षेत्र के चयन के संदर्भ में तीन लेखों की श्रृंखला की इस अंतिम कड़ी में हम शेष 9 नक्षत्रों से जुड़े कार्यक्षेत्रों के बारे में चर्चा करेंगे।
- मूला (Mula) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: मूला नक्षत्र धनु राशि में पड़ता है तथा इसके स्वामी ग्रह केतु और स्वामी देवता ने नैऋति है। इस नक्षत्र पर केतु और गुरु का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है और इस कारण जातक में उच्चाटन और सत्यवादिता दृष्टिगत होती है। उपरोक्त प्रभाव के कारण जातक प्रशासनिक सेवा (Administrative services), कानूनी क्षेत्र (Legal Field) व सामाजिक सेवा (Social Services) में अधिक सफल होते हैं।
- पूर्वाषाढ़ा (Purva Ashadha) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र धनु राशि में पड़ता है तथा इस के स्वामी ग्रह शुक्र और स्वामी देवता आप(जल) है। इस नक्षत्र के जातक में निर्मलता, सृजनशीलता ज्ञान और बुद्धिमत्ता का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के जातक सृजन क्षेत्र (Creative Field), कला क्षेत्र (Arts Field), उच्च अध्ययन (Higher Education), अध्यात्म (Spiritual) इत्यादि में अधिक सफल होते हैं।
- उत्तराषाढ़ा (Uttara Ashadha) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र धनु और मकर राशि में पड़ता है इसके स्वामी ग्रह सूर्य और स्वामी देवता विश्वदेव है। इस नक्षत्र के जातक में सकारात्मक सोच, परिश्रम, सामूहिक प्रयास, दृढ़ता इत्यादि का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के जातक प्रबंधन (Managment), सैन्य बलों (Defence Forces), चिकित्सा क्षेत्र (Medical Field) इत्यादि में अधिक सफल होते हैं।
- श्रवण (Shravan) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: श्रवण नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है तथा इसके स्वामी ग्रह चंद्रमा और स्वामी देवता विष्णु है। इस नक्षत्र के जातक में गंभीरता, सुनने सीखने की लालसा, कल्पनाशीलता, एकाग्रता इत्यादि का सम्मिलित प्रभाव होता है। इस प्रकार के जातक सलाहकार (Consultant) थैरेपिस्ट (therapist), अध्यापन (Teaching) इत्यादि कार्य में अधिक सफल होते हैं।
- घनिष्ठा (Dhanishtha) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: घनिष्ठा नक्षत्र मकर और कुंभ राशि में पड़ता है तथा इसके स्वामी ग्रह मंगल और स्वामी देवता अष्टवसु है। इस नक्षत्र के जातक में एकाग्रता क्षमता, प्रखर बुद्धि, संवेदनशीलता, आत्मविश्वास का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है इस प्रकार के जातक अभियांत्रिकी (Engineering), प्रबंधन (Managment), सैन्य बलों (Defence Forces), प्रशासन (Administration) इत्यादि में अधिक सफल होते हैं।
- शतभिषा (Shatbhisha) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: शतभिषा नक्षत्र कुंभ राशि में पड़ता है इसके स्वामी ग्रह राहु और स्वामी देवता वरुण है। इस नक्षत्र में सजगता, चौकन्नापन गंभीरता, कूटनीति इत्यादि का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। प्रकार के जातक रोग निदान क्षेत्र (Medical Field) कूटनीति (Diplomacy) गंभीर विषयों के अध्ययन इत्यादि में अधिक सफल होते हैं।
- पूर्वाभाद्रपद (Purva Bhadrapada) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र कुंभ तथा मीन राशि में पड़ता है तथा इस के स्वामी ग्रह बृहस्पति और स्वामी देवता अजैकपाद (1 पैर वाली बकरी) है। इस नक्षत्र के जातक में एकाग्रता परेशन में स्वभाव उर्वर मस्तिष्क,विज्ञान व दक्षता का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस नक्षत्र के जातक खोजी कार्य (Exploration), अन्वेषण (Investigation), अध्यापन (Teaching), स्टार्टअप (Startup) इत्यादि में अधिक सफल होते हैं।
- उत्तराभाद्रपद (Uttara Bhadrapada) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: उत्तराभाद्रपद नक्षत्र मीन राशि में पड़ता है तथा इसके स्वामी ग्रह शनि और स्वामी देवता ही अहिबुरर्ध्नय है (सुमद्र के देवता)। इस नक्षत्र के जातक में धैर्यशीलता, दार्शनिकता, गहराई इत्यादि का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के जातक अन्वेषण, उच्च अध्यापन, सलाहकार, अध्यात्म इत्यादि क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं।
- रेवती (Revati) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: रेवती नक्षत्र मीन राशि में पड़ता है तथा इसके स्वामी ग्रह बुध और स्वामी देवता पूषण (प्रकाश फलाने वाले देवता) है। इस नक्षत्र के जातक में बौद्धिक प्रखरता परोपकार की भावना सभ्यता संस्कृति और अध्यात्म का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के जातक सलाहकार, अध्यात्म, उच्च अध्ययन थैरेपिस्ट इत्यादि के कार्यों में अधिक सफल होते हैं।
जन्म नक्षत्र के अनुसार कार्यक्षेत्र के चुनाव के संदर्भ में इस तीसरे भाग में 19 से 27 तक शेष 9 नक्षत्रों को सम्मिलित किया गया है। बाकी नक्षत्रों से जुड़े कार्यक्षेत्रों के बारें में जानने के लिए कृपया इसी श्रृंखला के अन्य लेख पढ़ें।
जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र श्रृंखला के अन्य लेख –
- जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र (भाग-01)
- जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र (भाग-02)
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