जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र
Constellation and Work Field
वैदिक ज्योतिष परंपरा में नक्षत्र को फलित तथा ज्योतिष गणना का आधार माना गया है।
नक्षत्र न क्षरति, न सरति: इति नक्षत्र।
अर्थात जो न चलता है नहीं हिलता है वही नक्षत्र है । नक्षत्रों की संख्या 27 मानी गई है और नक्षत्रों का समूह राशि कहलाता है। जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में भ्रमण कर रहे हो वही व्यक्ति का जन्म नक्षत्र कहलाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी जातक का जन्म नक्षत्र उसकी कार्यप्रणाली और कार्यक्षेत्र को प्रभावित करता है और यदि जातक अपने नक्षत्र से संबंधित कार्य क्षेत्र का चयन करता है तो उसमें सफल होने की संभावना अधिक रहती है। नक्षत्र का कार्यक्षेत्र पर प्रभाव जानने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उस नक्षत्र का स्वामी ग्रह और स्वामी देवता कौन है तथा नक्षत्र किस राशि में है। नक्षत्र और कार्यक्षेत्र के संबंध में ज्योतिष अध्ययन और विवेचना तीन भागों की कड़ी में की गई है। प्रथम भाग में पहले 9 नक्षत्रों को सम्मिलित किया गया है जो निम्नानुसार है।
- अश्वनी (Ashwani) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: अश्वनी नक्षत्र मेष राशि में पड़ता है और इसका स्वामी ग्रह केतु है अतः अश्विनी नक्षत्र पर मंगल और केतु का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। मंगल और केतु के कारण जातक में ऊर्जा और अधीरता अधिकतम होती है। अभियांत्रिकी (Engineering) और रक्षाबल (Defence Forces) से संबंधित कार्य इस प्रकार के जातकों के लिए अधिक अनुकूल रहते है। अश्विनी नक्षत्र के स्वामी देवता सूर्य पुत्र अश्वनी कुमार है अतः इस नक्षत्र जातक के चिकित्साक्षेत्र (Medical Field) में भी सफल होते हैं।
- भरणी (Bharni) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: भरणी नक्षत्र मेष राशि में पड़ता है और उसके स्वामी ग्रह शुक्र है। मंगल और शुक्र के सम्मिलित प्रभाव के कारण इस प्रकार के जातक रचनात्मक क्षेत्रों (Creative Field) में अधिक सफल होते हैं। भरणी नक्षत्र के स्वामी देवता यम है। इस प्रकार के जातक धर्म अनुसार कर्म करते हैं अतः कानूनी क्षेत्र (Legal Field) भी जातक के लिए अधिक उपयोगी रहता है।
- कृतिका (kritika) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: कृतिका नक्षत्र में मेष तथा वृषभ राशि में संयुक्त रूप से पड़ता है। इसका स्वामी ग्रह सूर्य है और स्वामी देवता अग्नि है। अतः मंगल, सूर्य और शुक्र के सम्मिलित प्रभाव के कारण इस प्रकार के जातक में सर्जनशीलता, नेतृत्व क्षमता, और साहस अधिक होता है। इस नक्षत्र का जातक सरकारी सेवा (Government Sector) या उच्च स्तर का प्रबंधन (Managment Field) इत्यादि क्षेत्रों में सफल रहते हैं।
- रोहिणी (Rohini) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि में पड़ता है और इसके स्वामी ग्रह शुक्र है व स्वामी देवता ब्रह्मा है। चंद्रमा और शुक्र के सम्मिलित प्रभाव लिए इस नक्षत्र के जातक सृजनात्मकता, कल्पनाशीलता और संपन्नता से संबंधित कार्य क्षेत्र जैसे कला क्षेत्र, (Arts Field) फिल्मांकन, (Movies and TV) और विलासिता पूर्ण वस्तुओं (Luxury Items) से संबंधित क्षेत्रों में अधिक सफल होते हैं।
- मृगशिरा (Mrigashira) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: मृगशिरा नक्षत्र वृषभ और मिथुन राशि में पड़ता है। इसके स्वामी ग्रह मंगल और स्वामी देवता सोम अथार्त अमृत है। इस नक्षत्र पर शुक्र, मंगल और बुध का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है तथा इस नक्षत्र से संबंधित जातक में रचनात्मकता, तार्किकता और साहस इत्यादि गुणों होते है। इस नक्षत्र के जातक अन्वेषण (Exploration), अभियांत्रिकी (Engineering) और प्रबंधन (Management) अधिक सफल होते हैं।
- आर्द्रा (Ardra) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: आद्रा नक्षत्र मिथुन राशि में पड़ता है और इसके स्वामी ग्रह राहु है तथा स्वामी देवता रूद्र। इस नक्षत्र पर बुध की उर्वरा शक्ति और राहु की भोग इच्छा का सम्मिलित प्रभाव होता है। इस नक्षत्र के जातक व्यापार (Buisness), वाणिज्य (Commerce) और कूटनीति (Diplomacy) में अधिक सफल होते हैं।
- पुनर्वसु (Punarvasu) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: पुनर्वसु नक्षत्र मिथुन वह कर्क राशि में पड़ता है और इसके स्वामी ग्रह बृहस्पति और स्वामी देवता माता अदिति है। इस नक्षत्र पर बुद्धि ,अध्यात्म व कल्पनाशक्ति का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। इस नक्षत्र के जातक वाणिज्य (Commerce), होटल प्रबंधन (Hotel Management) व गैर सरकारी सेवा क्षेत्र (NGO) में अधिक सफल होते हैं।
- पुष्य (Pushya) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: पुष्य नक्षत्र कर्क राशि में पड़ता है और इसके स्वामी ग्रह शनि और स्वामी देवता बृहस्पति है। इस नक्षत्र के जातक में कल्पनाशीलता, स्थिरता, कठिन परिश्रम, धैर्य, सहज ज्ञान आदि का सम्मिलित प्रभाव होता है। इस नक्षत्र के जातक अध्यात्म (Spiritual Guru), अध्यापन (Teaching) और धार्मिक क्रियाकलाप (Religious Field) में अधिक सफल होते हैं।
- अश्लेषा (Ashlesha) नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र: अश्लेषा नक्षत्र कर्क राशि में पड़ता है और इसके स्वामी ग्रह बुध और स्वामी देवता अहि(नाग) है। इस नक्षत्र में कल्पना शक्ति और बुद्धिमत्ता का सम्मिलित प्रभाव देखने को मिलता है। नक्षत्र के जातक व्यापार, (Business) वाणिज्य, (Commerce) और प्रबंधन(Management) में अधिक सफल होते हैं।
जन्म नक्षत्र के अनुसार कार्यक्षेत्र के चुनाव के संदर्भ में इस प्रथम भाग में पहले 9 नक्षत्रों को सम्मिलित किया गया है। बाकी नक्षत्रों से जुड़े कार्यक्षेत्रों के बारें में जानने के लिए कृपया इसी श्रृंखला के अन्य लेख पढ़ें।
जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र श्रृंखला के अन्य लेख –
- जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र (भाग-02)
- जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र (भाग-03)
जीवन मे विभिन्न क्षेत्रों मे आने वाली समस्याओं (विवाह, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, धन, कुंडली मे दोष, राहु / केतु / शनि / मंगल महादशा, संतान, कानूनी पचड़े आदि) के ज्योतिषीय समाधान अथवा सलाह के लिए मेरे WhatsApp Number +91-9214983806 पर संपर्क कर सकते हैं। – ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ आलोक व्यास