स्वाथ्य समस्याओं के प्रबंधन में ज्योतिष की उपयोगिता
Importance of Astrology in Health Problems
मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण उसका अपना स्वास्थ्य है। स्वास्थ्य की कमी होने पर जीवन के चार धाम धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थहीन हो जाते हैं। कहा भी जाता है कि “जान है तो जहान है” अथवा “पहला सुख निरोगी काया”
शरीर के विभिन्न भाग कुंडली के विभिन्न भावों और कारक ग्रहों द्वारा निरूपित होते हैं जिससे व्यक्ति के शरीर और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का निदान सुगमता पूर्वक किया जा सकता है। जातक के स्वास्थ्य संबंधी अवस्था अवस्था जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति, दशा-महादशा व गोचर पर निर्भर करती है।
- सिर और चेहरा- कुंडली में प्रथम भाव के पीड़ित होने या अशुभ ग्रहों की दृष्टि अथवा लग्नेश के दुर्बल होने पर जातक के चेहरे या सिर सम्बंधी समस्या या चोट लगने की संभवना रहती है ।
- मुँह, दाँत, व आँखें कुंडली में द्वितीय व द्वादश भाव की दुर्बल, पीड़ित अथवा अशुभ ग्रहों की दृष्टि या भावापति की अशुभ ग्रहों के साथ युक्ति मुँह, दांत या आँखें से संबंधी परेशानियां जातक के जीवन मे आती है और बुध ग्रह के पीड़ित होने पर वाणी दोष भी उत्पन्न होता है।
- फेफड़े और कंधे जन्म कुंडली में तृतीय व एकादश भाव के दुर्बल अथवा पीड़ित होने पर जातक साँस अथवा फेफड़े की बीमारियों और कंधे के दर्द से ग्रस्त होता है।
- हृदय व छाती कुंडली में चतुर्थ भाव के दुर्बल अथवा पीड़ित होने अथवा चंद्रमा के पीड़ित होने पर पर जातक के हृदय संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं।
- पेट व यकृत कुंडली में पंचम भाव के दुर्बल अथवा बृहस्पति के पीड़ित होने पर व्यक्ति अमाशय संबंधी विकारों से ग्रसित होता है।
- गुर्दा व मूत्राशय कुंडली मे षष्टम भाव के पीड़ित होने जातक किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित होता है।
- जननांगों व मलद्वार कुंडली में सप्तम या अष्टम भाव के दुर्बल अथवा पीड़ित होने या शुक के पीड़ित होने पर जातक जननांगों या मलद्वार से संबंधित विकारों से ग्रसित होता है।
- घुटने , एड़िया व पैर कुंडली में द्वादश व एकादश भाव के दुर्बल अथवा शनि के पीड़ित या अशुभ ग्रहों से युक्त होने पर जातक को घुटनों अथवा पैर सम्बंधी विकार उत्पन्न होता है।
- मानसिक स्वाथ्य कुंडली में द्वादश भाव दुर्बल अथवा चंद्रमा के पीड़ित होने पर जातक मानसिक समस्याओं से ग्रसित होता है।
ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और उनकी गतिविधियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है और इससे हमें अपने शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में काफी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। यह बताया जा सकता है कि किस ग्रह की दशा और अंतर्दशा में क्या प्रभाव होता है और उससे हमें अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में मदद मिल सकती है।
ज्योतिष के अनुसार, हमारे शरीर के अलग-अलग अंग और उनके संबंधित समस्याएं भी ग्रहों के प्रभाव से उत्पन्न होती हैं। ज्योतिष के अनुसार उपचार भी ग्रहों के उपायों से हो सकते हैं। इसलिए, ज्योतिष स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके अलावा, ज्योतिष के अनुसार योग, प्राणायाम, ध्यान आदि भी स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में मददगार साबित होते हैं। इन सभी उपायों का उचित उपयोग स्वास्थ्य समस्याओं के निदान में काफी मददगार साबित हो सकता है।
जीवन मे विभिन्न क्षेत्रों मे आने वाली समस्याओं (विवाह, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, धन, कुंडली मे दोष, राहु / केतु / शनि / मंगल महादशा, संतान, कानूनी पचड़े आदि) के ज्योतिषीय समाधान अथवा सलाह के लिए मेरे WhatsApp Number +91-9214983806 पर संपर्क कर सकते हैं। – ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. आलोक व्यास